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वो शाम मुझे आज भी याद है जब बारिश थमने का नाम नहीं ले रही थी.
मैं एक ट्यूशन टीचर अपने छोटे से घर में बैठी हुई खिडकी से बाहर की तेज बारिश देख रही थी.
अचानक फोन की घंटी बजी. दूसरी तरफ राहूल के पिता थे.
उन्होंने कहा, "मैडम, राहूल बारिश में फसा हुआ है. क्या वह आपके यहा रात रुख सकता है? यहां आने का कोई रास्ता नहीं है."
मैंने थोड़ी देर सोचा और कहा, "जी, कोई बात नहीं. वह यहां सुरक्षित रहेगा."